चलो किसी लंबे सफर पे चलें

ख्वाजा मीर दर्द ने खूब लिखा है - 

' सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ/ ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ।'


मनुष्य सृष्टि के आरंभ से यात्रा करता रहा है। यात्राओं से ही मनुष्य सीखता रहा है। यात्राएं ही वे माध्यम हैं जिनसे विचारों और संस्कृतियों का आदान-प्रदान होता रहा है। दक्षिण एशियाई देशों में सनातन और बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार इन देशों में यात्रा करने वाले भिक्षुओं और संतों ने अपनी यात्राओं के माध्यम से किया। यात्राएं व्यक्ति को न केवल जानकारियों से समृद्ध बनाती हैं, बल्कि उनके भीतर चेतना का भी प्रसार करती हैं। यात्राओं ने पूरी दुनिया को एक परिवार में बांधने का कार्य किया है। भाषाओं, विचारों, रहन-सहन, सभ्यताओं, कारोबार के साथ आध्यात्म के विकास में यात्राओं ने अपनी भूमिका निभाई है। बिना यात्रा के क्या नरेंद्र स्वामी विवेकानंद हो सकते थे। बिना यात्रा के क्या केदारनाथ पांडेय राहुल सांकृत्यायन हो सकते थे। बिना यात्राओं के क्या कोलंबस को हम आज भी याद कर पाते? यात्राओं ने इन जैसे सैकड़ों व्यक्तियों के व्यक्तित्व को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया था।


यात्राएं हमें बोलना सिखाती है। लिखना और पढ़ना सिखाती हैं। समझना सिखाती हैं। इशारों की भाषा सिखाती हैं। यात्राओं से बहुत सी चीजों को हम बिना पैसे दिए ही सीख जाते हैं। राजस्थान में तो सैकड़ों वर्षों से मारवाड़ी अपने कारोबार के लिए देश और दुनिया की यात्रा करते रहे हैं। अपने कारोबार को स्थापित करते रहे हैं। भारत का आज शायद ही कोई शहर, कस्बा, राज्य होगा जहां किसी मारवाड़ी का कारोबार नहीं हो। केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के देशों में उन्होंने इन्हीं यात्राओं के रोमांच के साथ कारोबार के क्षेत्र में बड़ी सफलताएं प्राप्त की है।

इन्हीं सभी बातों को समेटती कहानीकार, उपन्यासकार और यायावर मुरारी गुप्ता की नई यात्रा कथा-"चलो किसी लम्बे सफर पर चलें" हाल ही में अमेजन पर ई बुक के तौर पर प्रकाशित हुई है। इसे पाठकों की अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।

यह पुस्तक मुरारी गु्प्ता की पिछले एक दशक की भारतवर्ष की यात्राओं का दस्तावेज हैं। यह अरुणाचल प्रदेश के सूर्योदय से लेकर द्वारिका में अस्त होते सूरज तक की यात्रा है। यह अमरनाथ के पहलगाम के पहाड़ों लेकर दीव के समंदर की यात्रा है। यह यात्रा कश्मीर घाटी के चिनार कहानी कहती है। ईटानगर की जिंदगी की हलचलें बताती है। सिक्किम की रपटीली वादियों की बातें करती हैं। नेपाल के काठमांडु और कन्याम की ओसभरी खूबसूरती दिखाती है। दार्जीलिंग के घूम और लामहट्टा जैसी अलहदा मगर खूबसूरत कस्बाई संस्कृति के दर्शन करवाती है। माउंटआबू की नक्की के प्रेम को तो शैल सुंदरी मसूरी के गुस्से भर प्यार का अंदाज बयां करती है। इसमें दीव के समंदर का प्यार उमड़ता है। यह यात्रा सोमनाथ के ध्वंस और सृजन की गाथा सुनाती है। द्वारिकाधीश के कुरुक्षेत्र के ऐतिहासिक पराक्रम और द्वारिका में अमर प्रेम, दूरदृष्टा और भव्यता की निशानियों को छूती है।

यह पुस्तक केवल यात्रा भर नहीं है। यह केवल पहाड़, समंदर, जंगल और रेत की यात्रा भर नहीं है। इसमें लोकजीवन का दर्शन है। इतिहास को अनुभव करने का प्रयास है। आध्यात्म को महसूस करने की कोशिश है। प्रकृति को छूने और उसे दुलारने का छोटा सा प्रयास है। वैसे मुरारी गुप्ता के यात्रा वृत्तांत विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। वह अपनी इन यात्राओं के माध्यम से पाठकों को उन स्थानों के रोमांच से रूबरू करवाते रहे हैं। मूल रूप से मुरारी गुप्ता कहानीकार हैं, इसलिए उनकी यात्राओँ में भारत के स्थानों के भूगोल और इतिहास से ज्यादा उन स्थानों की दिलचस्प कहानियां हैं, जिन्हें पढ़कर एक अलग तरह का रोमांच महसूस होता है। यकीनन इन यात्रा कहानियों को पढ़कर उन स्थान विशेषों के बारे में एक अलग तरह का अनुभव होता है।

मुरारी गुप्ता कुछ दिलचस्प उपन्यासों पर भी काम कर रहे हैं। राजस्थान साहित्य अकादमी से उनका चर्चित कथा संग्रह "मोगरी" प्रकाशित हो चुका है। पेशेवर तौर पर वह भारतीय सूचना सेवा में कार्यरत हैं और वर्तमान में दूरदर्शन जयपुर में हैं।  

बहरहाल उनकी यात्रा कथाओं का आनंद लीजिए। यह अमेजन के किंडल पर मात्र 69/- रूपए के शुल्क पर उपलब्ध है। उनकी यात्रा कथा - 'चलो किसी लंबे सफर पे चलें' को अपने मोबाइल या किसी भी डिवाइस पर पर डाउनलोड कर ले सकते हैं। आप उन्हें उनके ईमेल- murli4you@gmail.com पर या उनके मोबाइल नंबर 
9414061219 पर बेहिचक अपनी प्रतिक्रिया भी दे सकते हैं।

पुस्तक : चलो किसी लंबे सफर पर चलें (ई बुक) 

लेखक : मुरारी गुप्ता

उपलब्ध : अमेजन किंडल  

मूल्य : मात्र रू. 69/-

लिंक - https://amzn.to/3ozCNqw


- डॉ. पुष्पा कुमारी


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